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शनिवार, 19 जून 2021

हर 100 साल बाद ही क्यों आती है महामारी, Why does an epidemic come only after every 100 years?

 

हर 100 साल बाद ही क्यों आती है महामारी ! जानिए इसके पीछे का रहस्य
हर 100 साल बाद ही क्यों आती है महामारी ! जानिए इसके पीछे का रहस्य


इंसान जब-जब सोचने लगता है कि उसने अपनी मेहनत और बुद्धि के बल द्वारा खुद को सबसे ऊंचा बना लिया है, तब-तब प्रकृति अपना विक्राल रूप दिखा देती है.प्रकृति अपने प्रकोप से इंसान को हर बार ये समझा जाती है कि उसने ही इस दुनिया को बनाया है और वही है जो इस दुनिया को पल में तबाह भी कर सकती है. पैसे के पीछे भागती दुनिया आज अपनी जान बचाने के लिए काम काज छोड़ कर घरों में बंद है. 

चीन के वुहान शहर से निकले वायरस कोरोना ने हर तरफ अपना भय पसार दिया है. आज इंसान ने इंसान से दूरी बना ली है. इस डर से कि कहीं ये वायरस उन्हें ना अपनी चपेट में ले ले. ऐसा पहली बार नहीं जब दुनिया किसी तरह की महामारी से इतनी भयभीत है. 

ये सन 2020 है और संयोग देखिए कि हर 100 साल बाद 20 के दशक में दुनिया ने किसी ना किसी भयानक महामारी का सामना ज़रूर किया है. तो चलिए आपको बताते हैं ने 20 के दशकों में दुनिया ने कौन कौन सी महामारी के प्रकोप झेले तथा उससे मानव जाति को कितना नुकसान उठाना पड़ा :

इसे भी पढ़े :  जाने कैसे हुई थी राधा की मृत्यु और कृष्ण ने बांसुरी क्यों तोड़ी

1. 1720 - दि ग्रेट प्लेग ऑफ मार्सिले सी

हर 100 साल बाद ही क्यों आती है महामारी

1720 - दि ग्रेट प्लेग ऑफ मार्सिले सी



आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है. लोगों के पास बीमारियों से लड़ने के लिए कई तरह की दवाईयां हैं. ऐसी बीमारियां, जो कभी मौत का पर्याय बनी हुई थीं. आज उन पर काबू पा लिया गया है. इसके बावजूद भी एक नये तरह के वायरस ने पूरी दुनिया के दिल में डर पैदा कर दिया है.

ऐसे में सोचिए उन दिनों किसी देश का क्या हाल हुआ होगा, जब किसी अनजान बीमारी ने लाखों लोगों को काल का ग्रास बना दिया होगा. हम यहां बात कर रहे हैं उस महामारी की जिसे दुनिया ने दि ग्रेट प्लेग ऑफ मार्सिले के नाम से जाना. 

सन 1720 में फ्रांसीसी क्षेत्र तथा लैंगडोक के कुछ हिस्सों में बसे लोगों को लेवेंट से आने वाले प्लेग महामारी का सामना करना पड़ा. इसे भले ही मर्सिले के प्लेग का नाम दिया हो लेकिन सच तो ये है कि इस महामारी की चपेट में यूरोप के कई क्षेत्र आए थे. उस समय स्थिति कितनी भयावह थी इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि 45000 आबादी वाले मर्सिले में जब यह महामारी अपने चरम पर पहुंची तो यहां हर रोज़ 1000 मौतें होती थीं.


2. 1820 - पहली कालरा महामारी

हर 100 साल बाद ही क्यों आती है महामारी

                                             कालरा महामारी



कालरा महामारी ने दुनिया को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया. माना जाता है कि कालरा ने अन्य किसी महामारी के मुकाबले सबसे ज़्यादा जानें ली हैं. कालरा महामारी इंसान को संभलने तक का मौका नहीं देती है. एक वयस्क के शरीर में सामान्य तौर पर 44 लीटर पानी होता है.

यही पानी शरीर में आंतरिक अंगों तथा कोशिकाओं तक पहुंचता है. लेकिन एक बार जब कालरा का बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करता है तो शरीर से मात्र 24 घंटों के भीतर 20 लीटर से ज़्यादा पानी निकल जाता है. ऐसे में सुबह स्वस्थ दिखने वाला इंसान अगले दिन मौत के मुंह में चला जाता है.

अगर इसका सही इलाज नहीं होता तो 12 घंटे के अंदर ही रोगी की मौत हो जाती. उन दिनों ये बीमारी सबके लिए नयी थी. इस कारण इससे अनगिनत मौतें हुईं. कालरा रोग में विब्रियो कैलोरिया नामक बैक्टीरिया शरीर को प्रभावित करता है. माना जाता है कि इस महामारी की शुरुआत 1817 में जयसोर से हुई. ये कलकत्ता तथा ढाका के मध्य का क्षेत्र था. फिलहाल जयसोर बांग्लादेश का एक जिला है. यहीं से ये रोग भारत के अन्य हिस्सों के साथ साथ बर्मा तथा श्रीलंका तक पहुंचा. 1820 तक यह महामारी थाईलैंड के सिआम तथा इंडोनेशिया में अपने पैर जमा चुकी थी. थाईलैंड के जावा द्वीप पर इसके कारण 1 लाख से ज़्यादा जानें गयीं. वहीं इराक के बसरा में 1821 में तकरीबन 18000 लोग इस महामारी के कारण मारे गये. इस महामारी में रोगी के शरीर पर नीले निशान पड़ जाते थे इसीलिए इसे ब्लू डेथ का नाम भी दिया गया. इसके अलावा फ्रांस में इसे डॉग डेथ भी कहा जाता था.


3. 1920 - दि स्पेनिश फ्लू 

दि स्पेनिश फ्लू
दि स्पेनिश फ्लू 


1918 से 1920 तक फैली इस महामारी के बारे में जानने के बाद आपको लगेगा जैसे इतिहास फिर से खुद को दोहरा रहा है. स्पेनिश फ्लू के लक्षण तथा इसे लेकर उन दिनों बना माहौल बिलकुल वैसा ही था जैसा आज हम कोरोना वायरस के समय में झेल रहे हैं.


इतिहास की मानें तो पूरी दुनिया का लगभग एक तिहाई हिस्सा यानी कि 500 मिलियन लोग इस फ्लू से प्रभावित हुए थे. वहीं इस महामारी के कारण मरने वालों की संख्या 20 मिलियन से 50 मिलियन तक बताई जाती है. कहीं कहीं तो मरने वालों की संख्या 100 मिलियन यानी कि उस समय दुनिया की आबादी का 3 प्रतिशत बताया जाता है. हालांकि इन मौतों के एकदम सटीक आंकड़े मौजूद नहीं हैं, क्योंकि कई लोगों की मौत मेडिकल रिकार्ड में जुड़ ही नहीं पाई थी.


इस फ्लू के कारण उन दिनों स्कूल कॉलेज सिनेमाघर तथा अन्य सभी सार्वजनिक स्थान बंद कर दिये गये थे. इसके अलावा व्यापार पर भी इसकी कड़ी मार पड़ी थी. हालांकि इसका नाम भले ही स्पेनिश फ्लू था मगर इसने सबसे ज़्यादा अमेरिका को प्रभावित किया. माना जाता है कि इस फ्लू को सबसे अधिक स्पेनिश मीडिया ने कवर किया था तथा इसी कारण से इसे स्पेनिश फ्लू का नाम दिया गया.


4. 2020 - कोविड-19

हर 100 साल बाद ही क्यों आती है महामारी
Covid-19



हर सौ साल बाद 20 के दशक में होने वाली इन महामारियों में फिर एक महामारी 2020 में हमारे सामने खड़ी है. साइंस की बढ़ती तरक्की को देख कर लगा था कि अब हम ऐसी किसी महामारी की चपेट में नहीं आ सकते लेकिन चीन के वुहान से दुनिया भर में फैले कोविड 19 वायरस ने हमारी इस सोच को झुठला दिया. 

कोरोना नाम का यह वायरस अभी तक दुनिया भर के 151,141,668 से ज़्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका है तथा  3,179,474 से ज़्यादा लोग इस वायरस के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं.

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