26/11 ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो: मार्कोस और एनएसजी कमांडोज की शौर्य गाथा, Operation Black Tornado: A Tale of Courage of MARCOS and NSG,
6 नवंबर 2008... मुंबई पर हुए एक आतंकवादी हमले में 160 लोगों की जान गई. इसमें कुछ विदेशी लोग भी शामिल थे, जो शांत मुंबई के तटीय इलाके में बने होटल ताज और ओबेरॉय में रुके थे.
26/11 Taj hotel |
पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते आए 10 आतंकवादियों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हमला कर दिया. रात 9 बजकर 20 मिनट पर आतंकियों ने दक्षिणी मंबई के कई इलाकों में लोगों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया.
सबसे पहला हमला 9 बजकर 30 मिनट पर भीड़भाड़ वाले छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर किया गया.
इसके बाद लियोपोल्ड कैफे, नरीमन हाउस, ताज पैलेस होटल एंड टॉवर, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, कामा अस्पताल, मेट्रो सिनेमा टाइम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग और सेंट जेवियर कॉलेज के पीछे वाली लेन को आतंकवादियों ने अपना निशाना बनाया.
3 दिन तक इस जिंदा शहर में आतंकवादी दहशत फैलाते रहे.
मुंबई पुलिस के जांबाज सिपाही, आतंकवाद विरोधी दल, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड, नेवी के मार्कोस कमांडोज और मुंबई फायर ब्रिगेड ने मिलकर इन आतंकवादियों और उनकी क्रूरता का सामना अनन्य साहस और शौर्य के साथ किया.
60 घंटे से ज्यादा भारतीय सुरक्षा बल के जवान इन आतंकवादियों से लोहा लेते रहे और आखिरकार इन्हें जीत मिली. मुंबई इन दरिंदों के कब्जे से आजाद हुई. इनमें से कई जवानों ने हैवानियत से लड़ते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी.
हमें नाज है ऐसे सुरक्षाकर्मियों पर, जो हैं हीरोज ऑफ 26/11 –
पाकिस्तान से दरिया के रास्ते आए 10 आतंकवादी
26 नवंबर 2008 की रात लगभग 8 बजे के आसपास 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में प्रवेश किया. मुंबई हमेशा की तरह से व्यस्त थी. ऑफिस खत्म होने के बाद लोगों की भीड़ सड़कों पर थी. तभी इन आतंकियों ने मुंबई को दहला देने की खुंखार योजना बनाई.
आतंकवादी 2-2 के ग्रुप में बंट गए. आतंकवादी अपने वीभत्स कार्य को अंजाम देकर विदेशी मीडिया का ध्यान खींचना चाहते थे. इसके लिए इन्होंने विश्व प्रसिद्ध और मुंबई के बड़े होटल ताज और ओबेरॉय को निशाना बनाया. विदेशी लोगों से भरा एक बार लियोपोल्ड कैफे और यहूदियों का एक निवास नरीमन हाउस भी इनके निशाने पर था.
भारतीय भीड़ को निशाना बनाने के लिए दो आतंकियों के एक ग्रुप ने सबसे पहले सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर हमला किया.
इस हमले में लगभग 60 लोगों की मौत हुई.
इस घटना को मीडिया कवरेज दे रहा था. शुरूआत में इसे मुंबई का गैंगवार बताया गया. मीडिया कवरेज पर दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड्स (NSG) के कंट्रोल रूम की भी नजर थी.
Ajmal kasab and his terrist fraind came to mumbai |
होटल ताज और आेबेरॉय ट्राइडेंट पर आतंकियों का कब्जा
26 नवंबर की रात लगभग 9 बजकर 45 मिनट पर 4 आतंकवादियों ने विदेशियों से भरे लियोपोल्ड कैफे पर धुंआधार गोलीबारी शुरू कर दी.
आतंकवादी 10 से 15 मिनट तक फायरिंग करते रहे. इस हमले में 10 लोगों की मौत हुई.
इसके बाद आतंकवादियों ने ताज पैलेस और टॉवर होटल की ओर रुख किया. रात 9 बजकर 38 मिनट पर लियोपोल्ड कैफे पर हमला करने वाले 4 आतंकवादियों में से दो आतंकवादी अब्दुल रहमान और अबु अली होटल के टावर सैक्शन के मुख्य दरवाजे से अंदर दाखिल हो गए. उन्होंने पास की ही एक पुलिस चौकी में आरडीएक्स प्लांट कर दिया. दोनों आतंकवादी होटल में लॉबी एरिया की ओर बढ़ गए.
इसके ठीक 5 मिनट बाद दो और आतंकवादी शोएब और उमर ला-पेट दरवाजे को बम से उड़ाकर ताज महल होटल के ग्राउंड फ्लोर में दाखिल हो गए. यहां पहुंच कर इन्होंने सबसे पहले स्वीमिंग पूल के आसपास खड़े लोगों को अपना निशाना बनाया और फिर अंदर बार और रेस्तरां की ओर बढ़ गए.
ये गेट अक्सर आम लोगों के लिए बंद ही रहता था, इससे कोई भी आसानी से होटल में प्रवेश कर सकता है.
अब ताज होटल में कुल चार आतंकवादी पहुंच चुके थे. होटल में सबसे पहले स्वीमिंग पूल किनारे खड़े 4 विदेशी मेहमान आतंकियों की गोली का निशाना बने. इसी के साथ वहां तैनात एक सुरक्षाकर्मी की अपने लेब्राडोर कुत्ते के साथ मौत हो गई.
रात के लगभग एक बजे आतंकवादियों ने होटल के बीच में डोम पर ब्लास्ट किया, जिससे वहां आग लग गई.
रात ढाई बजे तक भारतीय सेना के दो ट्रक सैनिक आ चुके थे, उन्होंने मुख्य लॉबी की ओर से होटल में प्रवेश किया और उसे सिक्योर कर अपने कब्जे में ले लिया.
इस समय तक आतंकवादी होटल में बने कमरों की ओर जा चुके थे.
होटल स्टाफ ने बड़ी चतुराई के साथ लोगों को अपने कमरों में बंद होने को कह दिया. इस समय तक आग काफी भड़क चुकी थी. होटल से उठता काला धुंआ बाहर से साफतौर पर देखा जा सकता था, जो एक बड़े गुब्बारे के समान दिखाई दे रहा था.
इसी दौरान रात लगभग पौने दस बजे दो आतंकवादी अबु बाबर इमरान और नासिर उर्फ उमेर सीढ़ियों के रास्ते नरीमन हाउस में दाखिल हुए.
नरीमन हाउस में घुसने के पहले दोनों ने पास के पेट्रोल पंप पर बम रख दिए. जो थोड़ी देर बाद ही फट गए. यहां रह रहे कुछ इस्राइली नागरिक रात का खाना खा चुके थे और सोने की तैयारी में थे, तभी वहां गोलियां चलीं और बम फटे.
ऊपरी मंजिल पर छोटे से बालक मोसे के माता-पिता रिबका होजबर्ग और रब्बी होजबर्ग सबसे पहले आतंकवादियों की गोली का शिकार हुए. इसके बाद आतंकवादियों ने उस इमारत में जो दिखा उसी को अपना शिकार बनाया.
सीढ़ियों को बम से उड़ा दिया, ताकि कोई भी ऊपर न आ सके. आतंकियों ने पूरी इमारत को अपने कब्जे में लेकर, लोगों को बंधक बना लिया.
10 बजकर 10 मिनट पर दो अन्य आतंकवादी ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल में दाखिल हुए. दोनों आतंकवादियों ने होटल के मुख्य प्रवेश द्वार पर गोली चलाई और गोलीबारी के साथ ही रिसेप्शन की ओर बढ़ गए.
इन्होंने होटल के रेस्तरां और बार की ओर गोलीबारी की. आतंकवादियों ने होटल में स्पा में काम कर रहे दो थाई लोगों की हत्या कर दी. इसमें ताज होटल से ज्यादा लोगों को आतंकवादियों ने बंधक बना लिया था.
ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल में ज्यादातर विदेशी मेहमान आते थे. जाहिरतौर पर आतंकवादियों के निशाने पर यही लोग थे.
NSG Commando in Taj Hotel |
मार्कोस कमांडोज ने संभाल मोर्चा
रात 12 बजे मुंबई पुलिस की स्पेशल टीम ने होटल को चारों ओर से घेर लिया और मुंबई को सील कर दिया. इसी रात लगभग 3 बजे भारतीय सेना के जवान भी मौके पर आ पहुंचे और उन्होंने ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभाल ली.
भारतीय इंटेलीजेंस ने आतंकवादियों और उनके हेंडलर्स के बीच हुई बातचीत को ट्रैस किया. पाकिस्तान में बैठे आकाओं ने होटल में 4 आतंकवादियों को बताया कि "3 नेता और एक सैक्रेटरी तुम्हारे होटल में हैं, हमें नहीं पता कि किस कमरे में हैं. तुम उनमें से 3-4 आदमियों को ढूंढो और फिर जो चाहो वो भारत से मांग लेना."
7 नवंबर की सुबह 16 इंडियन नेवी मरीन कमांडोज या मार्कोस कमांडोज समुद्र में 8 किलोमीटर दूर बने अपने बेस से एक नाव में सवार होकर मुंबई की ओर बढ़े.
ये सभी कमांडोज एके 47 और एमपी 5 सब मशीन गन से लैस थे और उनकी पेंट पर 9 एमएम की पिस्टल लगी थी. सभी के पास ग्रेनेड थे. बुलेट प्रूफ जैकेट पहने ये मार्कोस कमांडोज आतंकियों से लोहा लेने मुंबई पहुंचे.
इस काम के लिए मार्कोस की दो टीमें तैनात थीं, जिसमें से एक लोगों को रेस्क्यू कर रही थी, तो वहीं दूसरी आतंकवादियों से मुकाबला.
इस समय तक होटल ताज, होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट और नरीमन हाउस पर आतंकवादियों ने अपना कब्जा जमा लिया था.
मुंबई पुलिस भी मुस्तैद थी.
26 नवंबर की रात साढ़े 10 बजे से 11 बजे के बीच छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर हमला करने वाले दो आतंकवादी मोहम्मद अजमल कसाब और इस्माइल खान को पुलिस ने एक गाड़ी से भागते हुए पकड़ लिया. गिरगांव चौपाटी पर मुठभेड़ में आतंकी इस्माइल खान मारा गया और पुलिस ने मोहम्मद अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया.
इस समय तक 8 मार्कोस कमांडोज की एक टीम ने ताज होटल में मोर्चा संभाल लिया था. इन्हीं मरीन कमांडोज में साढ़े 23 साल के प्रवीण तेवतिया भी शामिल थे. कमांडोज ने धुएं से भरे कोरिडोर को पार किया, जहां कई लोग मरे पड़े थे.
आतंकियों ने कमरों में छिपकर बचाई जान
प्रवीण कुमार अपनी टीम को लीड कर रहे थे. उनके साथ टीम के बाकी 7 सदस्य और थे. जिन्हें मार्कोस कमांडोज 'प्रहार' कहते हैं. टीम होटल ताज के अंदर गई और वहां से लोगों को रेस्क्यू करना शुरू किया.
मार्कोस कमांडोज की टीम ने पहली मंजिल पर फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला और फिर आतंकियों की तलाश में कमरों की तलाशी शुरू कर दी.
लॉबी के बगल में एक अंधेरे कमरे में प्रवीण दाखिल हुए. उन्हें नहीं पता था कि इस कमरे में पहले से ही आतंकवादी छिपे बैठे हैं. जैसे ही प्रवीण कमरे में 6-7 कदम अंदर आए, वहां घात लगाए बैठे दो आतंकियों ने उनके ऊपर फायरिंग कर दी. आतंकवादियों की एक गोली इनके कान को छूते हुए निकल गई. लगभग 3-4 राउंड फायर के बाद ये गिर पड़े.
अब तक कमांडोज की पूरी टीम बाहर जा चुकी थी. ये जमीन पर ही गिरे पड़े थे, इनके कान से खून लगातार बह रहा था.
कमरे में ये अकेले फंसे हुए थे, आतंकवादियों ने इन्हें घेर रखा था. टियर गैस के कारण वहां कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. थोड़ी हलचल होती, तो आतंकी गोली चला देते.
कमांडो प्रवीण बस ये जान पा रहे थे कि गोली किस दिशा से आ रही है. उन्होंने एक ग्रेनेड भी आतंकियों की ओर फेंका, लेकिन वो नहीं फटा. इसके बाद प्रवीण ने अपनी राइफल उठाई और उस कमरे से बाहर निकलने की जुगत में लग गए.
प्रवीण किसी भी तरह से गोली आने वाली दिशा से बचने के लिए खड़े हुए और बाहर की ओर भागे. इसी बीच, आतंकवादियों की 3 गोली इनकी बुलेट प्रूफ जैकेट पर जाकर लगीं, इनमें से एक इनके सीने को चीरती हुई बाहर निकल गई. वहीं, एक गोली इनकी गर्दन के पास से गुजरी.
इस समय तक घायल प्रवीण कमरे से बाहर जा चुके थे. उस समय होटल के इस कमरे में 4 आतंकवादी मौजूद थे. बाहर इनके साथियों ने इन्हें संभाला. गोली लगने के कारण इनके फेफड़े पूरी तरह से डैमेज हो चुके थे.
कमरे में धुंआ और अंधेरा था. इसके बाद मार्कोस ने आतंकवादियों को बेहोश करने के लिए टियर गैस के गोले कमरे में फेंके.
लगभग एक घंटे बाद मार्कोस लाइब्रेरी में दाखिल हुए, तब तक आतंकवादी किचन के रास्ते नई बिल्डिंग की ओर जा चुके थे. इसके बाद मार्कोस कमांडोज ने होटल में फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला.
26/11 Terrerist cctv photos |
कंट्रोल रूम से रखी जा रही थी नजर
एनएसजी कंट्रोल रूम से मुंबई में हमले की जानकारी एनएसजी के ऑपरेशन्स एंड ट्रेनिंग डीआईजी को दी गई. इस समय तक आतंकवादियों ने मुंबई पुलिस के 6 बड़े पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी थी.
ये साफ था कि मुंबई पर आतंकवादी हमला हुआ है.
इस समय तक एनएसजी को भारत सरकार की ओर से किसी भी तरह के आतंकवादी विरोधी ऑपरेशन का आदेश नहीं मिला था.
हालांकि 26 नवंबर की आधी रात को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से एनएसजी के डीजी को आतंकवादी विरोधी ऑपरेशन शुरू करने का आदेश दिया गया.
ये एकदम त्वरित आदेश था, सो दिल्ली से दूर मानेसर स्थित बेस से एनएसजी कमांडोज की टुकड़ी दिल्ली के लिए रवाना हो गई. दिल्ली से एक विशेष विमान तैयार किया गया, जिसने 200 एनएसजी कमांडोज के साथ रात करीब 3 बजे मुंबई के लिए उड़ान भरी.
nsg commando 26/11 |
शुरू हुआ ‘ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो’
मुंबई पहुंचने पर तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने पूरे घटनाक्रम के बारे में कमांडोज को ब्रीफ किया. उन्हें बताया गया कि ताज होटल, ओबेरॉय होटल और नरीमन हाउस में आतंकवादी छिपे हैं और उन्होंने लोगों को बंधक बना रखा है.
एनएसजी कमांडोज के पास ऑपरेशन के लिए अभी भी पूरा प्लान नहीं था. ताज होटल काफी बड़ा था, जिसमें लगभग 600 कमरे थे. कमांडोज यहां तक कि मुंबई पुलिस तक को ये नहीं पता था कि आतंकवादी ताज होटल के किसी फ्लोर पर किस कमरे में मौजूद हैं.
वे इस बात से वाकिफ नहीं थे कि उनके कब्जे में कितने लोग हैं.
इस समय तक आतंकवादियों ने ताज होटल के बाहर खड़े कई पुलिसकर्मियों और मीडियाकर्मियों को निशाना बनाने की कोशिश की. उधर, पुलिस ने पूरी तरह से मुंबई को सील कर दिया था. आतंकवादियों के द्वारा कब्जाए गए होटल और अन्य जगहों को पुलिस ने घेर लिया. ऐसे में आतंकियों के बचने की गुंजाइश बिल्कुल भी नहीं थी.
इस समय बड़ा सवाल था, होटल में फंसे हुए लोगों को बाहर निकालना. कुछ लोगों ने अपने आपको होटल के कमरे में ही बंद कर लिया था. ऐसे में उनकी जान को खतरा था. आतंकवादी कभी भी उन्हें अपनी गोली का निशाना बना सकते थे.
एनएसजी कमांडोज के पास भी होटल का ले आउट प्लान नहीं था.
27 नवंबर की सुबह साढ़े 6 बजे एनएसजी कमांडोज की टीम ने ताज होटल और ओबेरॉय ट्राइडेंट में रेस्क्यू ऑपरेशन का चार्ज अपने हाथों में ले लिया.
भारतीस सेना, नेवी के मार्कोस कमांडोज और मुंबई पुलिस के सहयोग के साथ एनएसजी कमांडोज का आतंकवादी विरोधी ‘ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो’ शुरू हो गया.
आसपास की बिल्डिंग पर एनएसजी के स्नाइपर्स तैनात कर दिए गए. आतंकवादियों को खत्म कर बंधकों को छुड़ाने की पूरी जिम्मेदारी अब एनएसजी के इन जांबाज कमांडोज के ऊपर थी.
भारतीस सेना, मार्कोस कमांडोज और पुलिस उन्हें बाहरी सहयोग, इंटेलीजेंस, हथियार और अन्य सहायता प्रदान कर रही थी.
nsg commando 26/11 |
नरीमन हाउस की घेराबंदी
मुंबई के कोलाबा में एक चाबाड लुबाविच यहूदी केंद्र है. इसे चाबाड हाउस या नरिमन हाउस कहते हैं. एनएसजी ने नरिमन हाउस को पूरी तरह से घेर लिया था. फंसे लोगों को बाहर निकालने का काम शुरू हुआ.
27 नवंबर की सुबह के 11 बजकर 15 मिनट पर एनएसजी कमांडोज ने यहूदी परिवार के दो लोगों को सकुशल नरीमन हाउस से बचा लिया.
इसी शाम करीब साढ़े पांच बजे एनएसजी के 20 कमांडोज ने नरीमन हाउस बिल्डिंग में घुसने की कोशिश की, लेकिन आतंकवादियों ने लिफ्ट और सीढ़ियों को पहले ही बम से तबाह कर दिया था. ऐसे में नरीमन हाउस में कमांडोज का ऊपर पहुंचना मुश्किल हो रहा था.
बहरहाल, कमांडोज इस बिल्डिंग में घुसने की लगातार कोशिश करते रहे. इस तरह से रात के 12 बजे तक लगभग 15 और लोगों को बचा लिया गया.
नरीमन हाउस कब्जा कर बैठे आतंकवादी बाहर से जारी ऑपरेशन की सारी जानकारी अपने पाकिस्तान में बैठे आकाओं से प्राप्त कर रहे थे. असल में टेलीविजन पर इस ऑपरेशन की लाइव तस्वीरें दिखाई जा रही थीं, जो आतंकवादियों के आका भी देख पा रहे थे.
28 नवंबर की सुबह लगभग 7 बजे एनएसजी कमांडोज हेलीकॉप्टर से नरीमन हाउस की छत पर उतरने में सफल रहे. आतंकवादी नारिमन हाउस के चौथे माले पर थे, जहां उन्होंने कुछ लोगों को बंधक बना रखा था. यहीं से उन्होंने एनएसजी पर फायरिंग की और ग्रेनेड से हमला किया.
बहरहाल, कमांडोज ने पूरी बिल्डिंग को घेर लिया और ऊपर-नीचे दोनों ओर से फायरिंग करते रहे.
इस तरह से 28 नवंबर की रात तक दो आतंकवादियों को एनएसजी कमांडोज ने मौत के घाट उतार दिया. इसी के साथ नरीमन हाउस की 3 दिन तक चली घेराबंदी समाप्त कर दी गई.
इस 5 मंजिला इमारत में ऑपरेशन के दौरान एनएसजी कमांडो हवलदार गजेंद्र सिंह शहीद हो गए. वहीं, बिल्डिंग से 5 बंधकों के शव भी बरामद हुए, जिन्हें आतंकवादियों ने काफी पहले मार दिया था.
कमांडो गजेंद्र सिंह को गोली लगी थी, बावजूद इसके उन्होंने पीछे हटना जरूरी नहीं समझा और आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए.
nsg commando 26/11 |
ताज और ओबेरॉय होटल में कमांडो ऑपरेशन
nsg commando 26/11 |
26 नवंबर की रात 12 बजे रेपिड एक्शन फोर्स और पुलिस के जवानों ने ओबेरॉय ट्राइडेंट को चारों ओर से घेर लिया. होटल में फंसे लोगों को रेस्क्यू किया गया.
27 नवंबर की सुबह 6 बजे नेशनल सिक्योरिटी गार्ड कमांडोज के आते ही पुलिस पीछे हट गई. अब आतंकवादियों को खत्म करने की जिम्मेदारी एनएसजी कमांडोज के कंधे पर थी.
शाम 6 बजे तक आतंकवादियों और एनएसजी कमांडोज के बीच गोलीबारी जारी रही. कमांडोज ने सीढ़ियों से चढ़कर छिपे आतंकवादियों को ढूंढ-ढूंढ कर खत्म किया.
27 नवंबर की शाम को 4 बजकर 40 मिनट पर होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट से 30 बंधकों को मुक्त कराया गया. इसके बाद 6 बजे होटल में फंसे 14 और लोगों को आतंकवादियों से मुक्त कराया गया.
हालांकि इस ऑपरेशन में कई लोग और कमांडो घायल भी हुए. इस समय तक लगभग 31 लोगों को बचा लिया गया था.
28 नवंबर की दोपहर 3 बजे ओबेरॉय ट्राइडेंट में छिपे दोनों आतंकवादियों को कमांडोज ने मार गिराया. इसी के साथ 40 घंटे आतंकवादियों के कब्जे में रहे ओबेरॉय में रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त कर दिया गया.
वहीं, 27 नवंबर 2008 को सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर ताज होटल के एक कमरे में आग लग गई. इस कमरे के अंदर 200 लोग मौजूद थे. जब गोलीबारी रुकी तो कमांडोज ने कमरे में प्रवेश किया और सभी 200 बंधकों को मुक्त कराया.
कमांडोज को होटल का लेआउट नहीं पता था. होटल कर्मचारी के बताए रास्ते के अनुसार, एनएसजी कमांडोज होटल को खंगालने लगे. जब उन्होंने होटल में प्रवेश किया, तो सामने बिल्कुल अंधेरा था.
कमांडो समझ नहीं पा रहे थे कि आगे क्या है. उन्हें नहीं पता था कि होटल में जो आतंकवादी हैं, वो किस तरह के हथियारों से लैस हैं.
जब कमांडोज आगे बढ़े, तो उन्हें दूसरी मंजिल से गोलीबारी की आवाज सुनाई दी. वे तुरंत आवाज की ओर दौड़े. वहां उन्होंने देखा कि लगभग 30 लोग मरे पड़े थे. वह पहुंचे ही थे कि आतंकवादियों ने उनके ऊपर ग्रेनेड फेंक दिए.
होटल से भाग रहे कुछ पर्यटकों ने कहा कि भवन के बड़े गुंबद की ओर आग लगी है, विस्फोटकों की आवाज आ रही है और गोलीबारी हो रही है. उस अंधेरे में ये पता लगा पाना बाकई बहुत मुश्किल था कि आखिर निशानेबाजों कहां हैं. कमांडो यह नहीं बता पा रहे थे आतंकवादी संख्या में कितने हैं.
एक समय कमांडोज को लगा कि कुछ आतंकवादी 8वीं मंजिल पर छिपे हैं. जैसे ही कमांडोज एक कमरे में दाखिल हुए, आतंकवादियों ने उनके ऊपर हमला कर दिया. इस गोलीबारी के दौरान दो कमांडोज को गोली लगी.
ऐसे में कमांडोज ने कमरे के प्रवेश और निकास मार्गों को अवरुद्ध करके आतंकवादियों को बाहर निकालने का फैसला किया, लेकिन हमलावरों को सभी दरवाजे पता थे. जब तक कमांडोज कमरे को देख पाते, आतंकवादी फिर गायब हो गए.
उस कमरे से कमांडोज को एके 47 राइफल, गोला-बारूद, 7 लोडेड मैग्जीन और अन्य हथियारों के लिए 400 राउंड बरामद हुए. उन्हें एक बैग से ग्रेनेड, क्रेडिट कार्ड, डॉलर, सूखे मेवे आदि भी मिले. वहां चारो ओर लोगों के शव पड़े हुए थे, जमीन खून से लाल थी.
कमांडोज खुलकर भी आतंकियों पर गोली नहीं बरसा पा रहे थे, क्योंकि उस समय वहां कई लोग मौजूद थे. इस कारण उन्हें आम नागरिकों को नुक्सान पहुंचाए बिना ही आतंकवादियों को मार गिराना था.
बहरहाल, जल्द ही ऑपरेशन अपने अंतिम चरण पर पहुंचा. 28 नवंबर तक होटल ताज को लगभग खाली करा लिया गया था. फिर एक खबर आई कि अभी भी दो आतंकवादियों ने कुछ विदेशी लोगों को बंधक बना रखा है. वहां गोलीबारी और बम धमाकों की आवाज सुनी गई.
अगले दिन सुबह 8 बजे तक एनएसजी कमांडोज ने बाकी बचे आतंकवादियों को भी मौत के घाट उतार दिया. इस तरह से तीसरे दिन जाकर होटल ताज पैलेस एंड टावर को सुरक्षित घोषित कर दिया.
इस पूरे ऑपरेशन के दौरान एनएसजी के दो कमांडो शहीद हुए. वहीं, 8 कमांडो एक विस्फोट में घायल हो गए. ऑबेरॉय होटल से 250 लोग और ताज होटल से 300 लोगों को बचाया गया. वहीं, नरीमन हाउस से 12 परिवार के 60 लोगों को बचाया गया.
सभी 10 आतंकवादियों में से 9 आतंकी मारे गए और एक आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को मुंबई पुलिस के सब-इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबले ने जिंदा पकड़ लिया. हालांकि ये वीर सिपाही इस हमले में शहीद हो गया.
इस तरह से 26 नवंबर की आधी रात से शुरू हुए आतंकवादियों के मुंबई को दहला कर रख देने वाले तांडव का अंत 29 नवंबर को हो गया.
सभी 10 आतंकवादियों में से 9 आतंकी मारे गए और एक आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को मुंबई पुलिस के सब-इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबले ने जिंदा पकड़ लिया. हालांकि ये वीर सिपाही इस हमले में शहीद हो गया.
इस तरह से 26 नवंबर की आधी रात से शुरू हुए आतंकवादियों के मुंबई को दहला कर रख देने वाले तांडव का अंत 29 नवंबर को हो गया.नरीमन हाउस की घेराबंदी
मुंबई के कोलाबा में एक चाबाड लुबाविच यहूदी केंद्र है. इसे चाबाड हाउस या नरिमन हाउस कहते हैं. एनएसजी ने नरिमन हाउस को पूरी तरह से घेर लिया था. फंसे लोगों को बाहर निकालने का काम शुरू हुआ.
27 नवंबर की सुबह के 11 बजकर 15 मिनट पर एनएसजी कमांडोज ने यहूदी परिवार के दो लोगों को सकुशल नरीमन हाउस से बचा लिया.
इसी शाम करीब साढ़े पांच बजे एनएसजी के 20 कमांडोज ने नरीमन हाउस बिल्डिंग में घुसने की कोशिश की, लेकिन आतंकवादियों ने लिफ्ट और सीढ़ियों को पहले ही बम से तबाह कर दिया था. ऐसे में नरीमन हाउस में कमांडोज का ऊपर पहुंचना मुश्किल हो रहा था.
बहरहाल, कमांडोज इस बिल्डिंग में घुसने की लगातार कोशिश करते रहे. इस तरह से रात के 12 बजे तक लगभग 15 और लोगों को बचा लिया गया.
नरीमन हाउस कब्जा कर बैठे आतंकवादी बाहर से जारी ऑपरेशन की सारी जानकारी अपने पाकिस्तान में बैठे आकाओं से प्राप्त कर रहे थे. असल में टेलीविजन पर इस ऑपरेशन की लाइव तस्वीरें दिखाई जा रही थीं, जो आतंकवादियों के आका भी देख पा रहे थे.
28 नवंबर की सुबह लगभग 7 बजे एनएसजी कमांडोज हेलीकॉप्टर से नरीमन हाउस की छत पर उतरने में सफल रहे. आतंकवादी नारिमन हाउस के चौथे माले पर थे, जहां उन्होंने कुछ लोगों को बंधक बना रखा था. यहीं से उन्होंने एनएसजी पर फायरिंग की और ग्रेनेड से हमला किया.
बहरहाल, कमांडोज ने पूरी बिल्डिंग को घेर लिया और ऊपर-नीचे दोनों ओर से फायरिंग करते रहे.
इस तरह से 28 नवंबर की रात तक दो आतंकवादियों को एनएसजी कमांडोज ने मौत के घाट उतार दिया. इसी के साथ नरीमन हाउस की 3 दिन तक चली घेराबंदी समाप्त कर दी गई.
इस 5 मंजिला इमारत में ऑपरेशन के दौरान एनएसजी कमांडो हवलदार गजेंद्र सिंह शहीद हो गए. वहीं, बिल्डिंग से 5 बंधकों के शव भी बरामद हुए, जिन्हें आतंकवादियों ने काफी पहले मार दिया था.
कमांडो गजेंद्र सिंह को गोली लगी थी, बावजूद इसके उन्होंने पीछे हटना जरूरी नहीं समझा और आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए.
इसी के आगे आतंकवादियों की मार्कोस कमांडोज से भिड़ंत हुई. आतंकवादी चैंबर लाइब्रेरी में घुस गए, तभी गोलीबारी शुरू हो गई. इस मुठभेड़ में दो कमांडोज घायल हो गए.
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